ठहरो ! सिर को अपने ठंडा रखो दूर बदन के अपने ही डंडा रखो क्यों पाला करते बुढ़ापे की सन ठहरो ! सिर को अपने ठंडा रखो दूर बदन के अपने ही डंडा रखो क्यों पाला करते बु...
हर एक को किसी न किसी चींज की तलाश होती है मुझे भी है हर एक को किसी न किसी चींज की तलाश होती है मुझे भी है
लड़के की चाह उसे सोचने से जंजीर डाला जी हाँ मुझे लड़का चाहिए। लड़के की चाह उसे सोचने से जंजीर डाला जी हाँ मुझे लड़का चाहिए।
मेरे खवाबों के इस खवाब को हक़ीक़त बना दे ऐ मौला। दो दिलों की इस अधूरी दास्तां को मेर मेरे खवाबों के इस खवाब को हक़ीक़त बना दे ऐ मौला। दो दिलों की इस अधूरी दास्त...
इस कविता में मैंने एक मानवीकरण उपकरण द्वारा उन सब से सवाल करने की कोशिश की है , जिसके लिए इंसान हर ... इस कविता में मैंने एक मानवीकरण उपकरण द्वारा उन सब से सवाल करने की कोशिश की है ,...
गगन को शब्दों की पहनाती मैं माला , मैं पंतग आओ तुम्हें दिखती मेरी कला। गगन को शब्दों की पहनाती मैं माला , मैं पंतग आओ तुम्हें दिखती मेरी कला।